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 बड़ी सोच

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कहा जाता है कि मनुष्य जितना बड़ा  सोचता है वह वैसा न सही पर कुछ न कुछ प्रभाव उसका उस व्यक्ति पर जरूर पढता है। सोचने की कोई सीमा नही होती है, मनुष्य पल भर मे कहीं कहीं की सोच लेता है। लेकिन उसके अनुसार कार्य करना सायद ही कोई कर पाता है।


जब आप सोचना सुरू करते है, तो आपके भीतर सवालों का सागर उमड जाता है । अच्छे अच्छे विचार आने शुरू हो जाते है ।आपका चीजों को देखने का नजरिया ही बदल जाता है।


एक छोटी सी कहानी है , बहुत ही गरीबी की हालात मे जी रहा एक व्यक्ति  अपने परिवार की चिन्ता को देखकर नौकरी की तलाश मे निकल पड़ा। घर की हालत बहुत ही तंग थी कभी ठीक प्रकार से भोजन नसीब नही हो पाता था। सूखी रोटी से ही काम चलाना पडता था।इसीलिए जब वो शहर जा रहा था तो उसने खाने के लिए सूखी रोटी ही रखी थी । गाडी मे कयी सारे लोग बैठे हुए थे।वह नही चाहता था ।कि कोई उसकी गरीबी का मजाक उडाये, इसलिए वह रोटी का टुकड़ा उठाता और खाली टिफिन मे घुमाता।वह जताना चाहता था कि लोग सोचे कि वह टिफिन से कुछ खा रहा है ।


लेकिन लोग समझ जाते है, और हैरान रहते है , कि यह व्यक्ति  आखिर कर क्या रहा है ।आखिर एक व्यक्ति पूछ ही लेता है, कि जब तुम्हारे पास सब्जी है ही नही तो फिर ऐसा क्यो कर रहे हो ।उस व्यक्ति ने फिर जवाब दिया कि इस टिफिन मे सब्जी तो नही है , मै अपने मन मे ये सोचकर रोटी खा रहा हूं कि इस टिफिन मे अचार है , इसीलिए मैंने अचार के साथ रोटी खा रहा हूं।


फिर वह व्यक्ति पूछने लगा कि जब तुम ऐसा कर रहे हो तो क्या तुम्हे आचार का स्वाद आ रहा है।युवक ने जवाब दिया हां क्यों नही आ रहा है इसीलिए तो मै बडे प्यार से रोटी खा रहा हूं।


इतना कहते दूसरा व्यक्ति ने पूछा अगर सोच के ही खाना था तो मटर पनीर सोच के खा लेते उसमे क्या खर्चा आता।है। सोचने मे कोई झिझक नही होनी चाहिए जितना ज्यादा सोचोगे उतना ही अधिक ज्ञान प्राप्त होगा ।


इसीलिये कहा गया आदमी कितना ही छोटा या गरीब क्यों नही हो पर वह सोचने मे गरीब नही होना चाहिए  उसकी छोटी सोचे न ही उसे छोटा बना देती है ।आदमी कभी छोटा नही होता उसकी सोचे  ही उसे छोटा बनाती  है।


   🌹🙏🏻🚩 *जय सियाराम* 🚩🙏🏻🌹

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